नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट अब वॉलमार्ट की हो चुकी है। दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट की 77 फीसद हिस्सेदारी एक लाख 5 हजार 360 करोड़ रुपए में खरीदी है। इस पूरे सौदे में फ्लिपकार्ट की वैल्यू 20.8 अरब डॉलर यानी 1.40 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है। बता दें कि इस डील के बाद फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल एक बिलियन डॉलर लेकर कंपनी छोड़ देंगे।
सचिन और बिन्नी बंसल ने साथ मिलकर 2007 में कंपनी की शुरुआत की थी। दोनों आईआईटी दिल्ली से बैचमेट थे और अमेजन में काम कर चुके थे। दोनों ने बेंगलुरू में 2बीएचके फ्लैट किराए पर लेकर ऑनलाइन किताबें बेचने से इसकी शुरूआत की थी। उन्होंने साल 2009 दूसरा ऑफिस दिल्ली में और तीसरा मुंबई में खोला। आज इस कंपनी में 33 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं।
बीते साल ही फ्लिपकार्ट ने बेंगलुरू में ही 8.3 लाख स्क्वेयर फीट के नए कैम्पस में सारे ऑफिसेस को शिफ्ट में कर दिया है। फ्लिपकार्ट ने 2011 में विदेशी निवेश के लिए सिंगापुर के इनवेस्टर्स को इनवाइट किया। इसमें टाइगर ग्लोबल और सॉफ्टबैंक ने पैसा लगाया। फ्लिपकार्ट ने छोटी ई-कॉमर्स कंपनीज को खरीदना शुरू किया। इसमें मिंत्रा, ईबे, फोनपे, चकपक जैसी कंपनियां खरीदकर भारत के बड़े मार्केट पर अधिकार कर लिया।
कैश ऑन डिलेवरी से बढ़ाया बाजार
देश में कैश ऑन डिलेवरी की शुरुआत साल 2010 में फ्लिपकार्ट ने ही की थी। दरअसल, उस समय तक बहुत कम लोगों के पास क्रेडिट कार्ड होते थे। इसके अलावा लोगों को ऑनलाइन सामान मंगाने पर भरोसा नहीं था क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं सामान खराब निकला, तो वापस कैसे करेंगे और पैसे डूब गए तो।
कैश ऑन डिलीवरी ने ऑनलाइन बाजार को बदलकर रख दिया। इसके बाद बिजनेस को बढ़ाने के लिए फ्लिपकार्ट ने 2011 में विदेशी निवेश के लिए सिंगापुर के इनवेस्टर्स को आमंत्रित किया, जिसमें टाइगर ग्लोबल और सॉफ्टबैंक ने पैसा लगाया।
सबसे पहले ऑनलाइन का ट्रेंड
इसके अलावा सबसे पहले ऑनलाइन का ट्रेंड भी फ्लिपकार्ट ने स्थापित किया। पहले कोई भी प्रोडक्ट बाजार में आता था और फिर बिक्री के लिए ऑनलाइन मिलता था। मकर, साल 2014 में फ्लिपकार्ट ने एक्सक्लूसिव ऑन लाइन सेल की नई परंपरा शुरू की। मोटोरोला ने फ्लिपकार्ट पर एक्सक्लूसिव सेल के जरिए ही वापसी की।
वॉलमार्ट ने क्यों लगाया दांव
पिछले एक दशक से भारत के खुदरा कारोबार में उतरने के लिए वॉलमार्ट हरसंभव कोशिश कर रही है। अमेरिका की इस सबसे बड़ी रिटेल कंपनी ने दो वजहों से फ्लिपकार्ट पर दांव लगाया है।
पहला कारण यह है कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि भारत सरकार रिटेल सेक्टर को विदेशी कंपनियों के लिए पूरी तरह से कब खोलेगी। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह अभी असंभव लग रहा है। दूसरी वजह यह है कि वालमार्ट भारत में डिजिटल क्रांति से बहुत प्रभावित है और उसका मानना है कि ई-कॉमर्स यहां घरेलू ब्रांड बनने में सबसे मददगार साबित होगा।
देश में बढ़ेगा ई-कॉमर्स का बाजार
अभी 35 फीसद आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है, जो दो वर्षों में बढ़कर 60 फीसद हो सकती है। अभी 30 फीसदी लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो वर्ष 2020 तक बढ़कर 58 फीसद हो सकती है। यानी भारत में ई-कॉमर्स कारोबार का भविष्य बहुत अच्छा है।