भारत।कैलाश सत्यार्थी का जन्म मध्य प्रदेश के छोटे से शहर विदिशा में हुआ था,जिनका जीवन का उद्देश्य इस भागती दौड़ती दुनिया से कहीं अलग था| जहां पर युवा अपने व्यवसाय को लेकर उत्तेजित होते हैं,वही उन्होंने मात्र 26 साल की उम्र में अपना व्यवसाय छोड़कर लोगों की सेवा करने का सोचा,जो एक बहुत ही कठिन निर्णय था| गांधी को भारत की भूमि छोड़े हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है और उनके दिए हुए संस्कार आज भी इस भारत भूमि पर जीवित हैं| इस बात का जीता जागता उदाहरण कैलाश सत्यार्थी बने हैं| जिन से आने वाली पीढ़ी को और युवाओं को बहुत बड़ी सीख मिली है|
कैलाश सत्यार्थी बताते हैं जीवन के शुरूआती दौर में जब उन्होंने बच्चों की सेवा करने का निर्णय लिया तब समाज के कुछ लोगों ने और परिवार वालों ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश करें करी| लेकिन कैलाश सत्यार्थी अपने निर्णय से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटे| भारत सरकार ने उन्हें कई सारे सम्मान भी दिए| लेकिन वह अपने आप को बहुत कृतज्ञ इस बात को लेकर मानते हैं,जब वह बच्चों की,बुजुर्गों की और अनाथों की सेवा करते हैं और फिर जब उनसे उन्हें आशीर्वाद मिलता है,यह उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार और सम्मान होता है|
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